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    Home»राशी भविष्य»वास्तु शास्त्र के अनुसार गो माता का महत्व – भाग -4
    राशी भविष्य

    वास्तु शास्त्र के अनुसार गो माता का महत्व – भाग -4

    SaimatBy SaimatMarch 28, 2022Updated:March 28, 2022No Comments4 Mins Read
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    ????️भवन निर्माण से पहले भूखण्ड में गाय और बछड़े के द्वारा भूमि का शुद्धिकरण किया जाता है

    ???? जिस स्थान पर भवन निर्माण , ऑफिस ,कमर्शियल कॉम्प्लेक्स या फॅक्टरी ????का निर्माण करने वाले हैं उस स्थान पर दूध देने वाली एक गाय और बछड़े को लाकर छोड़ दीजिए और उनकी सेवा करते रहें !!

    ???? दूध देने वाली गाय और बछड़े को उस भूखण्ड में खुला छोड़ दीजिए !! गाय और बछड़े के लिए चारे और पानी का इंतजाम कर दीजिए !!

    ???? गाय और बछड़े के पैरों से कुचली हुई भूमि और उनके निवास करने मात्र से पूरा भूखण्ड सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है !!

    ???? जिस स्थान पर भवन, घर का निर्माण करना हो, यदि वहां पर बछड़े वाली गाय को लाकर बांधा जाए तो वहां संभावित वास्तु दोषों का स्वत: निवारण हो जाता है !!

    ???? कार्य निर्विघ्न पूरा होता है और समापन तक आर्थिक बाधाएं नहीं आतीं!!

    ???? गाय के प्रति भारतीय आस्था को अभिव्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है; क्योंकि गाय सहज रूप से भारतीय जनमानस में रची-बसी है। गोसेवा को एक कर्तव्य के रूप में माना गया है। गाय सृष्टिमातृका कही जाती है। गाय के रूप में पृथ्वी की करुण पुकार और विष्णु से अवतार के लिए निवेदन के प्रसंग पुराणों में बहुत प्रसिद्ध हैं।

    ????????समरांगणसूत्रधार जैसा प्रसिद्ध बृहद वास्तु ग्रंथ गोरूप में पृथ्‍वी-ब्र्ह्मादि के समागम-संवाद से ही आरंभ होता है।

    ⛔ वास्तु ग्रंथ ‘मयमतम्’ में कहा गया है कि भवन निर्माण का शुभारंभ करने से पूर्व उस भूमि पर ऐसी गाय को लाकर बांधना चाहिए, जो सवत्सा (बछड़े वाली) हो। नवजात बछड़े को जब गाय दुलारकर चाटती है तो उसका फेन भूमि पर गिरकर उसे पवि‍त्र बनाता है और वहां होने वाले समस्त दोषों का निवारण हो जाता है।

    ????????यही मान्यता वास्तुप्रदीप, अपराजितपृच्‍छा आदि ग्रंथों में भी है। महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा गया है कि गाय जहां बैठकर निर्भयतापूर्वक सांस लेती है तो उस स्थान के सारे पापों को खींच लेती है-

    नि‍विष्टं गोकुलं यत्र श्वासं मुञ्चति निर्भयम्
    विराजयति तं देशं पापं चास्यापकर्षति।

    ????यह भी कहा गया है कि जिस घर में गाय की सेवा होती है, वहां पुत्र-पौत्र, धन, विद्या, आदि सुख जो भी चाहिए, मिल जाता है।

    ????यही मान्यता अत्रि सं‍हिता में भी आई है। महर्षि अत्रि ने तो यह भी कहा है कि जिस घर में सवत्सा???? धेनु नहीं है, उसका मंगल-मांगल्य कैसे होगा?

    ????गाय का घर में पालन करना बहुत लाभकारी है। इससे घरों में सर्व बाधाओं और विघ्नों का निवारण हो जाता है। बच्चों में भय नहीं रहता।

    ????️विष्णु पुराण में कहा गया है कि जब श्रीकृष्ण पूतना के दुग्धपान से डर गए तो नंद दंपति ने गाय की पूंछ घुमाकर उनकी नजर उतारी और भय का निवारण किया। सवत्सा गाय के शकुन लेकर यात्रा में जाने से कार्य सिद्ध होता है।

    ????पद्मपुराण और कूर्मपुराण में कहा गया है कि कभी गाय???? को लांघकर नहीं जाना चाहिए। किसी भी साक्षात्कार, उच्च अधिकारी से भेंट आदि के लिए जाते समय गाय के रंभाने की ध्वनि कान में पड़ना शुभ है।

    ????????संतान-लाभ के लिए गाय की सेवा अच्छा उपाय कहा गया है। शिवपुराण एवं स्कंदपुराण में कहा गया है कि गोसेवा और गोदान से यम का भय नहीं रहता। गाय के पांव की धूलिका का भी अपना महत्व है।

    ????????यह पापविनाशक है, ऐसा गरूड़पुराण और पद्मपुराण का मत है।

    ????????ज्योतिष एवं धर्मशास्त्रों में बताया गया है कि गोधूलि वेला विवाहादि मंगल कार्यों के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त है। जब गायें जंगल से चरकर वापस घर को आती हैं, उस समय को गोधूलि वेला कहा जाता है। गाय के खुरों से उठने वाली धूल राशि समस्त पाप-तापों को दूर करने वाली है।

    ????पंचगव्य एवं पंचामृत की महिमा से सर्वविदित हैं ही। गोदान की महिमा से कौन अपरिचित है! ग्रहों के अरिष्ट-निवारण के लिए गोग्रास देने तथा गौ के दान की विधि ज्योतिष ग्रंथों में विस्तार से निरूपित है। इस प्रकार गाय सर्वविध कल्याणका‍री ही है।

    ????हिंदू धर्म के त्यौहार… हमारी श्रेष्ठ परंपरा… और नवग्रहों के बारे में कुछ गलतफहमियां जानने के लिए हमारे लेख पढ़ते रहीये

    ???????? यह लेख अपने दोस्त.. रिश्तेदार… परिजनों को भेजकर अपने हिंदू संस्कृति का महत्व बताये… और महत्व बढ़ाइये

    रविंद्र धुप्पड़
    ज्योतिष… हस्तरेखा
    जलगाँव, नाशिक, मुंबई, इंदौर, अहमदाबाद
    मो.9850023712

    नेहा पटेल
    वनस्पति शास्त्र… हस्तरेखा
    पूना, जयपुर, दिल्ली, अहमदाबाद, नाशिक

    ????????जय श्री राम ????????

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