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    Home»राशी भविष्य» वास्तु शास्त्र के अनुसार दिशाओं का महत्व  पार्ट- 2
    राशी भविष्य

     वास्तु शास्त्र के अनुसार दिशाओं का महत्व  पार्ट- 2

    SaimatBy SaimatMarch 14, 2022Updated:March 15, 2022No Comments5 Mins Read
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    वास्तु शास्त्र में सभी दिशाओं के लिए वहां विद्यमान उर्जाओं के अनुरूप उचित और लाभदायक गतिविधियां बताई गई हैं।

    चार प्रमुख दिशाओं की जानकारी हम सभी को हैं। लेकिन वास्तु में एक शुभ भवन के निर्माण के लिए चार प्रमुख दिशाओं के अलावा चार अन्य दिशाओं में की जाने वाली गतिविधियाँ भी निर्धारित की गई है। इन सभी दिशाओं के अलग-अलग प्रभाव होते हैं

    इन प्रभावों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न कमरों के निर्माण से लेकर वस्तुओं को रखने की जगह के सम्बन्ध में वास्तु में कई नियम बनाये गए है। इन नियमों के अनुरूप बना घर व्यक्ति को आर्थिक समृद्धि के साथ ही एक शांतिपूर्ण जीवन भी प्रदान करता है तो आइये जानते हैं  प्रत्येक दिशा में की जाने वाली वास्तु सम्मत गतिविधियां एवं निर्माण-

    उत्तर दिशा:-
    वस्तुओं के संग्रहण, खाद्य पदार्थों के भण्डारण और औषधियों को रखने के लिए उत्तर दिशा सर्वोत्तम है। उत्तर दिशा के स्वामी कुबेर जी है अतः इस दिशा में निर्मित मुख्य द्वार आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है। इस दिशा को दक्षिण व पश्चिम दिशाओं की तुलना में अधिक खुला रखें।

    उत्तर-पूर्व दिशा यानि (ईशान)-
    ईशान दिशा का सम्बन्ध सात्विक उर्जाओं से होता है। यह दिशा ध्यान, अध्यात्म और धार्मिक कार्यों के लिए बेहद उपयुक्त मानी जाती है। यहाँ पर अतिथियों के लिए स्वागत कक्ष भी बना सकते है। उत्तरी ईशान में बना अंडरग्राउंड वाटर टैंक उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करता है। चूँकि यह सात्विक उर्जाओं से सम्बंधित दिशा है अतः विशेष रूप से इस दिशा को सदैव स्वच्छ रखें।
    पूर्व दिशा:
    सूर्य पूर्व दिशा का स्वामी है। यह वास्तु में सबसे प्रमुख दिशाओं में से एक मानी जाती है। पूर्व दिशा गार्डन लगाने के लिए बहुत अच्छी है। यहाँ पर सुंदर पौधें लगा सकते है। सामान्यतया इस दिशा को भी उत्तर के समान ही खुला रखना बेहतर परिणाम देता है। अगर आप यहाँ किसी प्रकार का निर्माण कराना चाहते है तो आप अतिथि कक्ष भी बना सकते है। पूर्व में निर्मित अतिथि कक्ष आपके सामाजिक संपर्कों को बढ़ाने में बहुत सहायक सिद्ध होगा.!

    दक्षिण-पूर्व यानि (आग्नेय):-

    अग्नि तत्व से सम्बंधित इस दिशा में किचन का निर्माण आपकी आय में वृद्धि करता है और बेहतर कैश फ्लो प्रदान करता है। आग्नेय में आप बडे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व गैजेट्स भी रख सकते है.!

    दक्षिण दिशा:-
    दक्षिण दिशा में बेडरूम का निर्माण किया जा सकता है। यहाँ पर निर्मित बेडरूम आपको एक आरामदायक अनुभव देगा, आपकी नींद की गुणवता भी बढ़ेगी और सुकून भी मिलेगा। ध्यान रहे कि सोते वक्त आपका सिर दक्षिण दिशा की ओर ही रहे।

    दक्षिण-पश्चिम यानि (नैऋत्य):-

    इस दिशा का सम्बन्ध तमस उर्जा से होता है। अतः यह भी एक आरामदायक शयन कक्ष के निर्माण के लिए अच्छी दिशा है, हालाँकि इस स्थान पर बने शयन कक्ष का उपयोग घर के मुखिया के द्वारा किया जाना चाहिए। यह जीवन में स्थायित्व प्रदान करेगा।

    पश्चिम दिशा:-

    इस दिशा में आप डाइनिंग रूम बना सकते है। यहाँ पर किया गया भोजन स्वास्थ्य के लिए लिहाज से लाभकारी रहता है। इसके अतिरिक्त यहां पर बच्चों के द्वारा की गई मेहनत का बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए स्टडी रूम भी बनाया जा सकता है।

    उत्तर-पश्चिम यानि (वायव्य):-

    चूँकि इस दिशा का सम्बन्ध भी दक्षिण-पूर्व दिशा के समान रजस उर्जा से है, अतः किचन बनाने के लिए यह भी एक उत्तम दिशा है। इस स्थान को वाहन पार्किंग के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है।

    ईशान शौचालय

    अगर किसी घर के ईशान कोण में शौचालय बना है तो उस घर मे शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, बौद्धिक और सामाजिक सभी तरह की परेशानियां रह सकती है ऐसे घर मे कभी भी बरकत नही हो सकती है।

    अग्नये कोण शौचालय

    अगर किसी घर के अग्नये कोण में शौचालय हो तो उस घर को वो धीरे धीरे शून्यता की तरफ ले जाता है साथ ही साथ ग्रहस्थ जीवन को बिल्कुल नीरस बना देता है।

    क्या आप जानते हो की घर में ताले की चाबी रखने का भी महत्व होता है

    चाबी का गुच्‍छा या फिर कपबोर्ड कभी भी वॉशरूम के पास नहीं लटकाना चाहिए। ऐसा करने से धन के देवता कुबेर अप्रसन्‍न हो जाते हैं।

    चाबियों को रखने की सबसे सही दिशा है उत्‍तर। इस दिशा को देवताओं का स्‍थान माने जाने की वजह से आपको मां लक्ष्‍मी की विशेष कृपा प्राप्‍त होगी और आपकी तिजोरी खचाखच भर जाएगी।

    मांगलिक कार्य निर्विघ्न संपन्न होने हेतु

    यदि घर में कोई मांगलिक कार्य होने वाला है और आप चाहते हैं कि वह निर्विघ्न संपन्न हो जाए तो इसके लिए एक उपाय है। जिस दिन मंगल कार्य हो उस दिन एक मुठ्ठी गेहूं लें और उसे लाल कपड़े में पोटली जैसा बांधकर उसे घर की पूर्व दिशा में किसी कोने में रख दें। आपका जो भी मंगल कार्य है वह ईश्‍वर की कृपासे आपके ईष्टदेव की कृपा से बिना किसी बाधा के पूरा हो जाएगा।

    पार्ट -3 कल पढ़िये वो भी मराठी में… क्योंकि बहोत से महानुभाव का आग्रह है कि मराठी में लेख भेजिए

    हिंदू धर्म के त्यौहार… हमारी श्रेष्ठ परंपरा… और नवग्रहों के बारे में कुछ गलतफहमियां जानने के लिए हमारे लेख पढ़ते रहीये

    यह लेख अपने दोस्त… रिश्तेदार… परिजनों को भेजकर अपने हिंदू संस्कृति का महत्व बताये और महत्व बढ़ाइये

    रविंद्र धुप्पड़
    ज्योतिष… हस्तरेखा
    जलगांव, पूना,इंदौर, नाशिक, अहमदाबाद, मुंबई

    नेहा पटेल
    हस्तरेखा… अंकशास्त्र… वनस्पति शास्त्र
    पूना, दिल्ली,अहमदाबाद, जयपुर

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